हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में एक जज और एक वकील हिंदी और अंग्रेजी भाषा को लेकर बहस करने लगते हैं।
जानकारी के मुताबिक पूरा मामला तब शुरू हुआ जब एक वकील ने अपनी याचिका अंग्रेजी में देने से इनकार कर दिया। जज वीडियो में कहते हैं, ‘आपने फिर अपनी याचिका हिंदी में दी है।’ मुझे हिंदी समझ नहीं आती।
अधिवक्ता जवाब देते हैं, “यह रोना है, सर, कि मैं भी अंग्रेजी नहीं समझ सका।” न्यायाधीश ने जवाब दिया, “मैं आपकी याचिका को अस्वीकार करता हूं।” मैं इसे करूँगा। अधिवक्ता ने कहा, “सर, पूर्ण पीठ को खारिज किया जाता है।” पूरी बेंच हिंदी का समर्थन करती है।”
इस पर जज ने कहा, “आपका केस खत्म हो गया है, मैंने अगला केस बुलाया है।” अधिवक्ताओं का कहना है, ‘सर, नियम तो सुनकर ही आगे बढ़ना है।’ ऐसा कोई नियम नहीं है जो कहता है कि आप बिना सुने आगे बढ़ सकते। आज भी पटना हाई कोर्ट के सभी जज सुन रहे हैं। हुजूर अब अनुवाद का अनुरोध कर रहे हैं। अनुवाद विभाग देश की आजादी के पहले से ही यहां है। हम और हमारे मुवक्किल उन्हें मिलने वाले वेतन को आपस में बांट लेते हैं। अनुवाद के लिए हुज़ूर से पूछने का क्या मतलब है? मैं सच बोल रहा हूँ। हम अंग्रेजी अनुवाद प्रदान करने में असमर्थ हैं क्योंकि हुजूर ने इसका अनुरोध किया है।
हम एक खंडपीठ के आदेश को प्रदर्शित कर रहे हैं, और उसके आलोक में आदेश पारित किया जाना चाहिए। सोशल मीडिया पर इस वक्त एक वकील का हिंदी बोलते हुए वीडियो वायरल हो रहा है। वैसे तो साफ है कि लोग हर जगह तेजी से अंग्रेजी का इस्तेमाल कर रहे हैं।